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वार्षिक कार्य योजना 2022-23

Rural Improvement Charity, सहिजन, गरवा, झारखंड (ज्योतिश्री सिनेमा के पास)

हमें यह प्रस्तुत करते हुए अत्यंत हर्ष हो रहा है कि वर्ष 2022-23 की वार्षिक कार्य योजना आपके समक्ष रखी जा रही है। यह रिपोर्ट उन सभी जागरूक नागरिकों, संस्थाओं और सहयोगियों को समर्पित है, जो समाज के विकास में सहभागी हैं।

हमारा उद्देश्य समाज के जरूरतमंद वर्गों को मुख्यधारा से जोड़ना है। हमने अपने प्रयासों के माध्यम से ज़मीनी स्तर पर बदलाव लाने का प्रयास किया है। हमने यह सुनिश्चित किया है कि हमारे कार्य समाज के हर वर्ग के लिए लाभकारी हों और लोगों को उनके अधिकार और सुविधाओं तक पहुंच मिल सके।

मुख्य कार्य क्षेत्र:

हमारी संस्था ने वर्ष 2022-23 में निम्नलिखित क्षेत्रों पर विशेष ध्यान केंद्रित किया:

  • गरीबी उन्मूलन एवं आजीविका संवर्धन
  • प्राकृतिक संसाधन प्रबंधन एवं जलग्रहण विकास
  • बंजर भूमि का सुधार एवं उपयोग
  • गुणवत्तापूर्ण शिक्षा का प्रचार-प्रसार
  • बेरोज़गारी के समाधान हेतु प्रशिक्षण
  • महिला एवं बाल अधिकारों की सुरक्षा
  • मातृ एवं शिशु स्वास्थ्य जागरूकता
  • सामाजिक-आर्थिक विषमताओं को दूर करने का प्रयास


इन सभी कार्यों में हमने सामुदायिक सहभागिता को प्राथमिकता दी, जिससे लोग स्वयं भी बदलाव का हिस्सा बनें।

सरकार एवं प्रशासन के साथ संवाद:


हमने विभिन्न स्तरों पर सरकार और स्थानीय प्रशासन को समाज से जुड़े मुद्दों पर सक्रिय भूमिका निभाने हेतु प्रेरित किया। कुछ क्षेत्रों में हमने उदाहरण प्रस्तुत कर यह दिखाया कि किस प्रकार भागीदारी से बदलाव संभव है।


हमारा संकल्प:


हम आगे भी समाज के प्रत्येक वर्ग के लिए कार्य करते रहेंगे और यह प्रयास जारी रहेगा कि हाशिए पर खड़े लोगों को न्याय, अवसर और सम्मान मिले। हम सभी सहयोगियों, स्वयंसेवकों और आम नागरिकों से अपील करते हैं कि वे हमारे साथ मिलकर इस विकास यात्रा को आगे बढ़ाएं।


✨ रीचा संस्था की कहानी: आत्मनिर्भर गाँव की ओर ✨


झारखंड के सुदूर गाँवों में एक नाम धीरे-धीरे लोगों की उम्मीद बनकर उभरा — रीचा। एक ऐसा संस्थान जिसने न केवल लोगों के जीवन को छुआ, बल्कि उन्हें अपने पैरों पर खड़ा होने की शक्ति भी दी।


जब संस्था की शुरुआत हुई, तब गाँवों में बेरोजगारी, शिक्षा की कमी, और खेती में गिरता मुनाफा सबसे बड़ी चुनौती थी। लोग शहरों की ओर पलायन कर रहे थे। युवा दिशाहीन थे, महिलाएँ सीमाओं में बंधी थीं, और बच्चे शिक्षा से वंचित थे।


इन्हीं परिस्थितियों में, रीचा संस्था ने गाँवों की धूलभरी पगडंडियों पर चलना शुरू किया — लोगों के बीच पहुंची, उनके दुख-सुख को समझा, और समाधान की शुरुआत की।


🌱 खेती-बाड़ी में नवचेतना


रीचा ने सबसे पहले खेती की ओर ध्यान दिया। किसानों को पारंपरिक तरीकों से हटाकर वैज्ञानिक खेती से जोड़ा। वर्मी कम्पोस्ट, जैविक खेती, और फसल चक्र की जानकारी दी गई।

संस्था ने बीजों की गुणवत्ता सुधारने और समय पर उर्वरक उपलब्ध कराने की व्यवस्था की।

जहाँ पहले किसान मानसून पर निर्भर रहते थे, वहीं अब संस्था ने उन्हें सिंचाई के छोटे-छोटे साधनों से जोड़ दिया — टपक सिंचाई, स्प्रिंकलर, और रेनवाटर हार्वेस्टिंग जैसी तकनीकें।


रीचा ने "एक गाँव - एक फसल" का मॉडल शुरू किया। इससे उत्पादन भी बढ़ा और बाज़ार भी मिला। किसानों को मंडियों से जोड़कर उन्हें उनकी फसल का उचित मूल्य दिलवाया।


🧵 रोज़गार की नई दिशा


संस्था जानती थी कि शिक्षा के बिना रोज़गार अधूरा है, लेकिन कौशल के बिना रोज़गार असंभव। इसलिए युवाओं को विभिन्न कौशलों का प्रशिक्षण देना शुरू किया गया।


कई स्थानों पर सिलाई-कढ़ाई सेंटर, ब्यूटी पार्लर ट्रेनिंग, मोबाइल रिपेयरिंग, कंप्यूटर ट्रेनिंग, और ट्रैक्टर रिपेयरिंग वर्कशॉप्स शुरू की गईं।

हर प्रशिक्षण के बाद युवाओं को स्वरोजगार से जोड़ने के लिए लोन और उपकरणों की सहायता भी दी गई।


गाँव की लड़कियाँ, जो पहले घर से बाहर निकलने से डरती थीं, अब छोटे-छोटे व्यापार चलाने लगीं — कोई मास्क बना रही थी, कोई पापड़, कोई स्कूल ड्रेस सिल रही थी।

रीचा ने महिलाओं को स्वयं सहायता समूहों से जोड़कर आर्थिक स्वतंत्रता की ओर एक बड़ा कदम बढ़ाया।


📚 शिक्षा की रोशनी हर द्वार तक


रीचा का सबसे भावनात्मक और स्थायी योगदान शिक्षा में रहा। संस्था ने स्कूल छोड़ चुके बच्चों को चिन्हित किया और उन्हें फिर से स्कूल भेजने के लिए विशेष अभियान चलाया।


जिन स्कूलों में शिक्षक नहीं थे, वहाँ वॉलंटियर भेजे गए।

बच्चों के लिए स्मार्ट क्लास, लाइब्रेरी, और खेल सामग्री की व्यवस्था की गई।

शिक्षकों को भी समय-समय पर शिक्षण तकनीकों का प्रशिक्षण दिया गया।


लड़कियों की शिक्षा के लिए विशेष ध्यान दिया गया। बालिकाओं को न केवल स्कूल भेजा गया, बल्कि उन्हें सेनेटरी नैपकिन, सुरक्षा प्रशिक्षण, और आत्मरक्षा की ट्रेनिंग भी दी गई।


💪 महिला और बाल अधिकारों की रक्षा


रीचा का मानना है कि यदि समाज को बदलना है, तो महिलाओं को सशक्त करना होगा।

संस्था ने महिलाओं को उनके कानूनी अधिकार, घरेलू हिंसा से सुरक्षा, बाल विवाह, दहेज प्रथा, पोषण, और मातृत्व स्वास्थ्य जैसे विषयों पर जागरूक किया।


आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं के साथ मिलकर गर्भवती महिलाओं को पोषण आहार और सही देखभाल के लिए मार्गदर्शन दिया गया।


📱 डिजिटल युग की ओर गाँव की छलांग


रीचा ने समय की मांग को समझते हुए गाँवों में डिजिटल साक्षरता फैलाने का बीड़ा उठाया।

लोगों को मोबाइल से बैंकिंग, UPI, डिजिलॉकर, और सरकारी पोर्टल्स के उपयोग सिखाए गए।

युवाओं को ऑनलाइन पढ़ाई, फॉर्म भरना, और जॉब सर्च करने के लिए सक्षम बनाया गया।


🦠 कोविड काल में मानवता की मिसाल


कोरोना महामारी के समय जब हर कोई डरा हुआ था, रीचा की टीम गाँव-गाँव में राशन, मास्क, सैनिटाइज़र और दवाइयाँ लेकर पहुँची।

संस्था ने कोरोना वैक्सीनेशन के लिए लोगों को जागरूक किया और स्वास्थ्य कर्मियों के साथ मिलकर शिविर लगाए।


🌿 पर्यावरण और स्वच्छता का अभियान


"हरा झारखंड – स्वच्छ झारखंड" की थीम पर वृक्षारोपण कार्यक्रम, स्वच्छता अभियान और जल-संरक्षण की गतिविधियाँ की गईं।

गाँवों में कचरा प्रबंधन, शौचालय निर्माण और हैंडवॉश ट्रेनिंग से स्वच्छता में सुधार आया।


🎓 भविष्य की ओर एक आशा


रीचा की कोशिशें किसी एक योजना तक सीमित नहीं हैं। यह संस्था लगातार अपने कदम गाँवों की धड़कनों के साथ मिलाकर बढ़ा रही है।

हर बच्चा पढ़े, हर युवा कमाए, हर महिला मुस्कुराए — यही रीचा का सपना है।

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